हाय रे बारिश, वाह रे बारिश!अगर बारिश हो गई तो, व्यवस्था खराब,
और अगर बारिश नहीं हुई, अर्थ-व्यवस्था खराब :(
Thoughts | by: Nitin Pratap Singh
बारिश से सबकहमेशा स्थिर और एक समान नियम काम नहीं करते हैं?
कभी-कभी रास्ता बनाने के लिए, रास्ते मे पत्थर डालने भी पड़ते हैं|
Article | by: Nitin Pratap Singh
सहारनपुर और कश्मीर की हालतकत्ल-ओ-गारत के इस खेल को, क्यो बढा रहे हो तुम..
दुशमन हर तरफ बैठा है, पर खुद पर पत्थर चला रहे हो तुम...
Poetry | by: बलजीत सिंह (जिला उद्यान अधिकारी, फिरोजाबाद)
मेरा नमस्ते कहना...X ने Y को कहा, कि मेरा प्रणाम Z को बोलना...
अतः X चाहते हैं कि Y, Z को आज एक बार और प्रणाम करें।
अर्थात Y, Z से आज, एक बार और विनम्रता पूर्वक संवाद स्थापित करें।
Thoughts | by: Nitin Pratap Singh
कटी मेरी पतंग मांझे के हाथों ही...कटी मेरी पतंग मांझे के हाथों ही, हमें फ़र्क़ था माझे पर नाज था!!
डूवी मेरी कश्ती पतवार के हाथो ही, हमें फ़र्क़ था पतवार पर नाज था!!
Poetry | by: आकाँक्षा जादौन